अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
मैं ने बुझते चराग़ देखे हैं
Parveen Shakir
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Javed Akhtar
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यौम-ए-मज़दूर
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
आगही
जब जब तुम को याद करें हम
संग-दिल
मैं अपने आप को रोकूँ कहाँ तक
फूलों की ज़द में आ के कहीं जान से न जाए
गुड़िया
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे
ख़ुदी का राज़
गीली हिज्र की क़ब्रें
वजूद कर्ब से आगे