मैं कहलाऊँ
संग-तराश
वो जो ठहरा
पत्थर-दिल
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सारे जज़्बे तिरी चाहत के दिखाई देते
मिरे सीने से लग कर देर तक रोती है तन्हाई
ला-इल्मी
चिंगारियों का रक़्स
आधी मोहब्बत
दिल की उदासियों का कोई सबब नहीं है
अपनी आँखों को नोच डाला है
च्यूंटियाँ
अपनी आँखें नहीं जलाऊंगी
ये मुख़्तसर सी शिकन क्या बताएगी तुम को
किसी को याद करने के नहीं मख़्सूस कुछ लम्हे
हलचल