Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_079472ef153739db785bf361fff11476, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गीली हिज्र की क़ब्रें - नील अहमद कविता - Darsaal

गीली हिज्र की क़ब्रें

कफ़न उस की रिदाओं का

तअफ़्फ़ुन है सदाओं का

कि हंगामा सा बरपा है

ख़मोशी की अदाओं का

सुलगती है

सिसकती है

क़यामत सी गुज़रती है

जो लम्हात-ए-जुदाई को

किसी उजली सी चादर में उठाते हैं

ज़मीं में जैसे मुर्दे को दबा कर लौट आते हैं

मगर वो भूल जाते हैं

ये क़ब्रें हिज्र की नीली

हमेशा गीली रहती हैं

(390) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Neel Ahmed. is written by Neel Ahmed. Complete Poem in Hindi by Neel Ahmed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.