मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
मिरी मोहब्बत भी नीलगूं है
मैं उस को दूँगी गुलाब नीला
चमकते आरिज़ घटा से गेसू
हटा दिया है नक़ाब नीला
फ़लक से आगे पलक से आगे
नज़र में रक्खा शहाब नीला
है नग़्मा आहंग-ए-ज़िंदगी भी
है साज़-ए-मौज-ए-रबाब नीला
हरे समुंदर के पास जाऊँ
तो वो भी निकले सराब नीला
जो लाल लफ़्ज़ों से ख़त लिखा था
मुझे मिला है जवाब नीला
हैं ज़ख़्म सारे ही नीले नीले
है ये मोहब्बत अज़ाब नीला
रफ़ाक़तों के सफ़र से बोझल
मैं लिख रही हूँ निसाब नीला
(415) Peoples Rate This