महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था
महव-ए-रक़्स-ए-विसाल था क्या था
वो सरापा ग़ज़ाल था क्या था
सुब्ह-ए-रौशन किसी के होंटों का
रंग कुछ कुछ जो लाल था क्या था
बज़्म-ए-जाँ में बहुत थी ख़ामोशी
जाने उस का ख़याल था क्या था
एक जलता हुआ नशेमन था
वो मिरे हस्ब-ए-हाल था क्या क्या था
शेरियत ढल रही थी सूरत में
या वो रक़्स-ए-जमाल था क्या था
'नील' चश्म-ए-हज़ीं में ये बतला
थी वो वहशत मलाल था क्या था
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