दिलों में ख़ार लबों पर गिला मिलेगा मुझे
दिलों में ख़ार लबों पर गिला मिलेगा मुझे
ख़फ़ा रहेगा ज़माना तो क्या मिलेगा मुझे
ये क्या ख़बर थी मुलाक़ात उन से होगी अगर
नज़र से ता-ब-नज़र फ़ासला मिलेगा मुझे
तिलिस्म-ए-तीरगी-ए-शब कहीं तो टूटेगा
कोई चराग़ कहीं तो जला मिलेगा मुझे
बहार-ए-बाग़-ए-तमन्ना कोई तो देखेगा
कभी तो दिल में कोई झाँकता मिलेगा मुझे
ज़माना होगा तिरे साथ रह-गुज़र में जहाँ
मिटा मिटा सा तिरा नक़्श-ए-पा मिलेगा मुझे
डरेंगे लोग वफ़ा के ख़याल से 'नज़मी'
मिरी वफ़ाओं का जिस दिन सिला मिलेगा मुझे
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