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है दर्द में डूबी हुई तहरीर की आवाज़ - नाजिर अल हुसैनी कविता - Darsaal

है दर्द में डूबी हुई तहरीर की आवाज़

है दर्द में डूबी हुई तहरीर की आवाज़

विज्दान को छू लेती है तस्वीर की आवाज़

तन्हाई में आँखों से निकल आते हैं आँसू

गोया है फ़ज़ा में किसी दिल-गीर की आवाज़

दीवाना-ए-हस्ती के लिए एक हैं दोनों

पाज़ेब की झंकार कि शमशीर की आवाज़

याद आया है जब सानेहा ज़िंदान-ए-बला का

उभरी दर-ओ-दीवार से ज़ंजीर की आवाज़

लग जाती है जब राह-ए-पुर-असरार में ठोकर

हम उस को समझ लेते हैं तक़दीर की आवाज़

तख़रीब-पसंदों ने वो तूफ़ान उठाया

इस शोर में खो जाए न ता'मीर की आवाज़

नग़्मों का असर होता है अर्बाब-ए-तरब पर

'नाज़िर' को रुला देती है ज़ंजीर की आवाज़

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In Hindi By Famous Poet Nazir Al-Husaini. is written by Nazir Al-Husaini. Complete Poem in Hindi by Nazir Al-Husaini. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.