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बड़ी तमन्ना है जाऊँ सू-ए-सितम किसी दिन - नाज़िम सुल्तानपूरी कविता - Darsaal

बड़ी तमन्ना है जाऊँ सू-ए-सितम किसी दिन

बड़ी तमन्ना है जाऊँ सू-ए-सितम किसी दिन

मिज़ाज पूछे तो कोई अहल-ए-करम किसी दिन

वो भीगा चेहरा सभों से हट कर सवाल पूछे

हमारी आँखों की आग होगी न कम किसी दिन

हमारे मस्लक का आदमी क्या कहेगा हम को

जो ढल गए मस्लहत के साँचे में हम किसी दिन

हमारे माबैन बद-गुमानी की ईंट कैसी

मिले जो मौक़ा तो पूछें तुझ से सनम किसी दिन

जो आईने में तुम्हारे जागे वो अक्स रख लो

ये भीड़ परछाइयों की होगी न कम किसी दिन

तुम्हें भी हम ज़िंदगी की कोई सलाह देंगे

समझ गए धूप-छाँव अपनी जो हम किसी दिन

हमारे हिस्से की रौशनी तुम जगाए रखना

कि तीरगी के सफ़र से लौटेंगे हम किसी दिन

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In Hindi By Famous Poet Nazim Sultanpuri. is written by Nazim Sultanpuri. Complete Poem in Hindi by Nazim Sultanpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.