अभी से वो दामन छुड़ाने लगे हो
जो अब तक मिरे हाथ आया नहीं है
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(430) Peoples Rate This
ये जो इंसाँ ख़ुदा का है शहकार
हर शख़्स बन गया है ख़ुदा तेरे शहर में
जिस दर्जा नेक होने की मिलती रही है दाद
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं
किस क़ुव्वत-ए-बे-दर्द का इज़हार है दुनिया
जिन के गुनाह मेरी नज़र से निहाँ नहीं
चश्म-ए-नम कुछ भी नहीं और शेर-ए-तर कुछ भी नहीं
किसी की मेहरबानी से मोहब्बत मुतमइन क्या हो
आँखों में बे-रुख़ी नहीं दिल में कशीदगी नहीं
और ही वो लोग हैं जिन को है यज़्दाँ की तलाश