किस क़ुव्वत-ए-बे-दर्द का इज़हार है दुनिया

किस क़ुव्वत-ए-बे-दर्द का इज़हार है दुनिया

हर दिल को गिला है कि दिल-आज़ार है दुनिया

लोग इस को कहा करते हैं अच्छा भी बुरा भी

क्या ख़ूब कि दोनों की सज़ा-वार है दुनिया

मिलता ही नहीं कोई दिल-ए-ज़ार का पुरसाँ

मेरे लिए इक महफ़िल-ए-अग़्यार है दुनिया

हर संग में दुनिया को नज़र आता है इक बुत

और ऐसे हर इक बुत की परस्तार है दुनिया

ये हश्र ये हंगामा नहीं आज पे मौक़ूफ़

सच ये है कि सदियों ही से बीमार है दुनिया

नेकी कोई करता हो तो करवट नहीं लेती

निय्यत हो गुनाहों की तो बेदार है दुनिया

किस तरह करें उस की मोहब्बत पे भरोसा

ऐ दोस्त क़यामत की अदाकार है दुनिया

इस तरह भी दुनिया का गिला करते हैं गोया

मासूम है इंसान गुनहगार है दुनिया

दुनिया में बुरा वक़्त तो आता है सभी पर

अब ख़ुद ही बुरे वक़्त से दो-चार है दुनिया

रह रह के बरसती हैं अदावत की घटाएँ

लगता है कि गिरती हुई दीवार है दुनिया

क्या कहिए उसे कुछ भी समझ में नहीं आता

इक वादी-ए-पुर-ख़ार कि गुलज़ार है दुनिया

जन्नत भी उसी में है जहन्नम भी उसी में

गहवारा-ए-हर-इशरत-ओ-आज़ार है दुनिया

डूबे हुए तारों का ये मातम नहीं करती

चढ़ते हुए सूरज की परस्तार है दुनिया

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In Hindi By Famous Poet Nazeer Siddiqui. is written by Nazeer Siddiqui. Complete Poem in Hindi by Nazeer Siddiqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.