जो कुछ नुमायाँ हुआ अल-अमाँ मआज़-अल्लाह
जो कुछ नुमायाँ हुआ अल-अमाँ मआज़-अल्लाह
तलत्तुफ़-ओ-करम-ए-दोस्ताँ मआज़-अल्लाह
कहेगी वो निगह-ए-एतिमाद-ए-आगीं क्या
खुलेंगी जब मिरी अय्यारियाँ मआज़-अल्लाह
वो राह-ए-इश्क़ में दिल की मआल-अंदेशी
वो मेरी अक़्ल की नादानियाँ मआ'ज़-अल्लाह
फिर उन के लुत्फ़ का मौसम पलट के आएगा
तख़य्युलात की गुल-कारियाँ मआज़-अल्लाह
ये मय-कदा तो नहीं ये तो सेहन-ए-मस्जिद है
ये आ गया मैं कहाँ से कहाँ मआ'ज़-अल्लाह
कभी था दार-ए-वफ़ा कू-ए-इश्क़ और अब है
क़िमार-ख़ाना-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ मआज़-अल्लाह
'नज़ीर' क़िस्सा-ए-ज़ख़्म-ए-निहाँ कहूँ किस से
ये दास्ताँ है बहुत ख़ूँ-चकाँ मआज़-अल्लाह
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