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जो कुछ नुमायाँ हुआ अल-अमाँ मआज़-अल्लाह - नज़ीर मुज़फ़्फ़रपुरी कविता - Darsaal

जो कुछ नुमायाँ हुआ अल-अमाँ मआज़-अल्लाह

जो कुछ नुमायाँ हुआ अल-अमाँ मआज़-अल्लाह

तलत्तुफ़-ओ-करम-ए-दोस्ताँ मआज़-अल्लाह

कहेगी वो निगह-ए-एतिमाद-ए-आगीं क्या

खुलेंगी जब मिरी अय्यारियाँ मआज़-अल्लाह

वो राह-ए-इश्क़ में दिल की मआल-अंदेशी

वो मेरी अक़्ल की नादानियाँ मआ'ज़-अल्लाह

फिर उन के लुत्फ़ का मौसम पलट के आएगा

तख़य्युलात की गुल-कारियाँ मआज़-अल्लाह

ये मय-कदा तो नहीं ये तो सेहन-ए-मस्जिद है

ये आ गया मैं कहाँ से कहाँ मआ'ज़-अल्लाह

कभी था दार-ए-वफ़ा कू-ए-इश्क़ और अब है

क़िमार-ख़ाना-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ मआज़-अल्लाह

'नज़ीर' क़िस्सा-ए-ज़ख़्म-ए-निहाँ कहूँ किस से

ये दास्ताँ है बहुत ख़ूँ-चकाँ मआज़-अल्लाह

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In Hindi By Famous Poet Nazeer Muzaffarpuri. is written by Nazeer Muzaffarpuri. Complete Poem in Hindi by Nazeer Muzaffarpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.