ज़रा दम तो ले ले तूफ़ाँ कि थका है रास्ते का
मिरे दम के तोड़ने में तिरा दम न टूट जाए
वही सर-बुलंद-ए-महफ़िल जिसे आए सरफ़रोशी
वही ज़िंदगी का मालिक जो अजल पे मुस्कुराए
Gulzar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1183) Peoples Rate This
बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का
सुना है कि उन से मुलाक़ात होगी
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
किस तरह से आई है जमाही तौबा
अक्सर इस तरह से भी रात बसर होती है
जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
होली
प्यारा हिन्दोस्तान
जो ग़ज़ल महलों से चल कर झोंपड़ों तक आ गई
खुलती हैं वो मस्त आँखें हंगाम-ए-सहर ऐसे
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई