हमारे अहल-ए-चमन हम से सरगिराँ तो नहीं
वो चार तिनके सही नंग-ए-आशियाँ तो नहीं
हमारे चंद नशेमन जले बला से जले
हमारा सारा गुलिस्ताँ धुआँ धुआँ तो नहीं
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Habib Jalib
Allama Iqbal
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मय-ख़्वारों से जब दूर नज़र आएगी
अक्सर इस तरह से भी रात बसर होती है
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
छब्बीस जनवरी
ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
जब से वो कह के गए हैं कि अभी आते हैं
दिन ढला जाता है शाम आती है घबराता हूँ मैं
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई
गंगा के किनारे
प्यारा हिन्दोस्तान
कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
ज़रा दम तो ले ले तूफ़ाँ कि थका है रास्ते का