ये करें और वो करें ऐसा करें वैसा करें
ज़िंदगी दो दिन की है दो दिन में हम क्या क्या करें
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
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Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
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Gulzar
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दूसरों से कब तलक हम प्यास का शिकवा करें
'प्रेमचंद' एक था एक से इक जहाँ बन गया
दीवाली और दीवाली मिलन
हुए मुझ से जिस घड़ी तुम जुदा तुम्हें याद हो कि न याद हो
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
सुना है कि उन से मुलाक़ात होगी
पेशानी पे सय्याल नगीना क्यूँ है
कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
हिन्द के मय-ख़ाने से इक साथ उठे दो बादा-ख़्वार
गंगा के किनारे
बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया