दिल की उजड़ी हुई हालत पे न जाए कोई
शहर आबाद हुए हैं इसी वीराने से
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दूसरों से कब तलक हम प्यास का शिकवा करें
मिरे टूटे हुए दिल की सदा से खेलने वाले
छब्बीस जनवरी
अक्सर इस तरह से भी रात बसर होती है
लिल्लाह मिरी सोज़िश-ए-पैहम को न छेड़
ऐ दाना-हा-ए-गंदुम देखो न मुस्कुरा के
उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में
हैं यूँ मस्त आँखों में डोरे गुलाबी
प्यारा हिन्दोस्तान
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई
बढ़ता हुआ हौसला न टूटे दिल का
गंगा के किनारे