बद-गुमानी को बढ़ा कर तुम ने ये क्या कर दिया
ख़ुद भी तन्हा हो गए मुझ को भी तन्हा कर दिया
Javed Akhtar
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होली जवानी की बोली में
किस तरह से आई है जमाही तौबा
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
इस वक़्त ग़ज़ल की बात न कर
हर साँस में इक हश्र बपा है वाइ'ज़
दूसरों से कब तलक हम प्यास का शिकवा करें
हुए मुझ से जिस घड़ी तुम जुदा तुम्हें याद हो कि न याद हो
कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
छब्बीस जनवरी
ये जल्वा-गह-ए-ख़ास है कुछ आम नहीं है
आस ही से दिल में पैदा ज़िंदगी होने लगी
ज़रा दम तो ले ले तूफ़ाँ कि थका है रास्ते का