आ गया याद उन्हें अपने किसी ग़म का हिसाब
हँसने वालों ने मिरे अश्क जो गिन के देखे
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जब न आने की क़सम आप ने खा रक्खी थी
अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे
साथ चलना है तो फिर छोड़ दे सारी दुनिया
कौन पहचाने मुझे शब भर तो ख़तरों में रहा
जब ज़बानों में यहाँ सोने के ताले पड़ गए
धुआँ बना के फ़ज़ा में उड़ा दिया मुझ को
ये हैं तैराक मगर हाल ये इन के देखे
खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए
मैं ने दुनिया छोड़ दी लेकिन मिरा मुर्दा बदन
ता उम्र फिर न होगी उजालों की आरज़ू