Ghazals of Nazeer Baaqri
नाम | नज़ीर बाक़री |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Nazeer Baaqri |
ये हैं तैराक मगर हाल ये इन के देखे
याद नहीं क्या क्या देखा था सारे मंज़र भूल गए
रोज़ ख़्वाबों में नए रंग भरा करता था
मैं एक क़र्ज़ हूँ सर से उतार दे मुझ को
कुछ देर सादगी के तसव्वुर से हट के देख
कौन पहचाने मुझे शब भर तो ख़तरों में रहा
जब ज़बानों में यहाँ सोने के ताले पड़ गए
जब न आने की क़सम आप ने खा रक्खी थी
धुआँ बना के फ़ज़ा में उड़ा दिया मुझ को
अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे