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तिरे मरीज़ को ऐ जाँ शिफ़ा से क्या मतलब - नज़ीर अकबराबादी कविता - Darsaal

तिरे मरीज़ को ऐ जाँ शिफ़ा से क्या मतलब

तिरे मरीज़ को ऐ जाँ शिफ़ा से क्या मतलब

वो ख़ुश है दर्द में उस को दवा से क्या मतलब

फ़क़त जो ज़ात के हैं दिल से चाहने वाले

उन्हें करिश्मा-ओ-नाज़-ओ-अदा से क्या मतलब

निहाल-ए-ताज़ा रहें नामिया के मिन्नत-कश

दरख़्त-ए-ख़ुश्क को नश्व-ओ-नुमा से क्या मतलब

मुराद-ओ-मक़्सद-ओ-मतलब हैं सब हवस के साथ

हवस ही मर गई फिर मुद्दआ से क्या मतलब

मुझे वो पूछे तो उस का ही लुत्फ़ है वर्ना

वो बादशाह है उसे मुझ गदा से क्या मतलब

जो अपने यार के जौर-ओ-जफ़ा में हैं मसरूर

उन्हें फिर और के मेहर-ओ-वफ़ा से क्या मतलब

रज़ा-ए-दोस्त जिन्हें चाहिए बहर-सूरत

'नज़ीर' फिर उन्हें अपनी रज़ा से क्या मतलब

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In Hindi By Famous Poet Nazeer Akbarabadi. is written by Nazeer Akbarabadi. Complete Poem in Hindi by Nazeer Akbarabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.