कल नज़र आया चमन में इक अजब रश्क-ए-चमन
कल नज़र आया चमन में इक अजब रश्क-ए-चमन
गल-रुख़ ओ गुल-गूं क़बा ओ गुल-अज़ार ओ गुल-बदन
महर-ए-तलअत ज़ोहरा-पैकर मुश्तरी-रू मह-जबीं
सीम-बर सीमाब-तब ओ सीम-साक़ ओ सीम-तन
नाज़नीं नाज़-आफ़रीं नाज़ुक-बदन नाज़ुक-मिज़ाज
ग़ुंचा-लब रंगीं-अदा शक्कर-दहाँ शीरीं-सुख़न
बे-मुरव्वत बेवफ़ा बेदर्द बे-परवा ख़िराम
जंग-जू क़त्ताल-वज़ ओ सरफ़राज़ ओ सर-फ़गन
मुब्तला ऐसे ही ख़ुश-वज़ओं के होते हैं 'नज़ीर'
बे-क़रार ओ दिल-फ़िगार ओ ख़स्ता-हाल बे-वतन
(331) Peoples Rate This