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बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब - नज़ीर अकबराबादी कविता - Darsaal

बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब

बज़्म-ए-तरब वक़्त-ए-ऐश साक़ी ओ नक़्ल ओ शराब

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

मजमा-ए-ख़ूबाँ वले ज़मज़मा-ए-चंग वले

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

सेहन-ए-चमन हुस्न-ए-गुल अब्र-ओ-हवा शर्ब-ए-मुल

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

इशरत-ए-सुब्ह-ए-बहार सैर-ए-गुल-ओ-लाला-ज़ार

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

रक़्स-ए-बुत-ए-ग़ुंचा-लब कसरत-ए-ऐश-ओ-तरब

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

इश्क़ के इज्ज़-ओ-नियाज़ हुस्न के अंदाज़-ओ-नाज़

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

मस्ती-ए-मय-ख़ाना-हा गर्दिश-ए-पैमाना-हा

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

शादी-ए-वस्ल-ए-बुताँ सोहबत-ए-मह-तलअताँ

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

ग़लग़ल-ए-कोस-नशात ख़ुश-दिली ओ इम्बिसात

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

सर्वत-ए-माल-ओ-मनाल हशमत-ओ-जाह-ओ-जलाल

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

क़स्र-ओ-महल दिल-पज़ीर ज़ीनत-ओ-ज़ेब ऐ 'नज़ीर'

कोई इसे कुछ कहो हम तो समझते हैं ख़्वाब

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In Hindi By Famous Poet Nazeer Akbarabadi. is written by Nazeer Akbarabadi. Complete Poem in Hindi by Nazeer Akbarabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.