इसी ख़याल में हर शाम-ए-इंतिज़ार कटी
वो आ रहे हैं वो आए वो आए जाते हैं
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
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Sharabi Poetry
Friends Poetry
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किस तवक़्क़ो' पे शरीक-ए-ग़म-ए-याराँ होंगे
शहर-ए-आलाम का शहरयार आ गया
फ़ुग़ाँ के साथ तिरे राहत-ए-क़रार चले
इस चश्म-ए-सियह-मस्त पे गेसू हैं परेशाँ
दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है