दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है

दिल महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम नहीं है

पैग़ाम ब-अंदाज़-ए-पैग़ाम नहीं है

ऐ जान-ए-गिराँ सैर तिरा रहबर-ओ-रहज़न

है कौन अगर वक़्त-सुबुक-गाम नहीं है

जो तेरे दयार-ए-रुख़-ओ-काकुल में न गुज़रे

वो सुब्ह नहीं है वो मिरी शाम नहीं है

इस पुर्सिश-ए-हालात के अंदाज़ के क़ुर्बां

किस तरह कहूँ मैं मुझे आराम नहीं है

क्या बात है ऐ तल्ख़ी-ए-आज़ार-ए-मोहब्बत

फ़िहरिस्त-ए-शहीदाँ में मिरा नाम नहीं है

मय-ख़ाने में और शोरिश-ए-अय्याम दर आए

अफ़्सोस कि हाथों में मिरे जाम नहीं है

अक्सर लब-ए-शाइ'र से जो सुनता है ज़माना

वो ज़ीस्त की आवाज़ है इल्हाम नहीं है

ऐ मस्त-ए-मय-शौक़ सँभाल अपने सुबू को

दुनिया है ये ख़ुम-ख़ाना-ए-ख़य्याम नहीं है

इक तुर्फ़ा तमाशा है 'नज़र' तेरी तबीअ'त

शाइ'र भी है और शहर में बदनाम नहीं है

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