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लेता हूँ तेरा नाम हर इक नाम से पहले - नज़र बर्नी कविता - Darsaal

लेता हूँ तेरा नाम हर इक नाम से पहले

लेता हूँ तेरा नाम हर इक नाम से पहले

कुछ ज़िक्र नहीं करता हूँ उस काम से पहले

मंज़िल की सऊबत कभी आज़ार न होगी

मैं नाम तिरा लेता हूँ हर गाम से पहले

है इश्क़ का आग़ाज़ ही अंजाम का हासिल

अंजाम नज़र आता है अंजाम से पहले

मैं ख़ुद ही चला जाऊँगा मयख़ाने से उठ कर

साक़ी से जो लड़ जाए नज़र जाम से पहले

रिंदान-ए-बला-नोश की है बात ही कुछ और

मय पीते नहीं शैख़ कभी शाम से पहले

वहशत में ज़माना मुझे बदनाम न करता

हो जाता रफ़ू चाक जो इल्ज़ाम से पहले

कहते हैं वही आप जो कहता है ज़माना

कुछ और भी कह लीजिए बदनाम से पहले

ये उन की इनायत से मिरा हाल हुआ है

कुछ वार अता करते हैं इनआ'म से पहले

कहता हूँ ग़ज़ल उन के तसव्वुर में 'नज़र' जब

आलम ही अजब होता है इल्हाम से पहले

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In Hindi By Famous Poet Nazar Barni. is written by Nazar Barni. Complete Poem in Hindi by Nazar Barni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.