इश्क़ की दास्तान क्या कहिए
इश्क़ की दास्तान क्या कहिए
ख़ामुशी है ज़बान क्या कहिए
एक दिल पर हज़ार इल्ज़ामात
सब्र का इम्तिहान क्या कहिए
तीर-ओ-नश्तर की बात ही क्या है
हों जो अबरू कमान क्या कहिए
देख कर इक जमाल-ए-रा'नाई
आरज़ू है जवान क्या कहिए
शेवा-ए-हुस्न बेवफ़ाई है
आप से मेहरबान क्या कहिए
मंज़िल-ए-इश्क़ है कठिन यारो
शौक़ का इम्तिहान क्या कहिए
फ़ितरत-ए-हुस्न है बहुत बेबाक
इश्क़ है बे-ज़बान क्या कहिए
है ज़ईम-ए-जहान-ए-शेर-ओ-अदब
ख़िज़्र का ख़ानदान क्या कहिए
सादगी भी है और नुदरत भी
ये 'नज़र' की ज़बान क्या कहिए
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