ग़म का हामिल न कुछ ख़ुशी का है
ग़म का हामिल न कुछ ख़ुशी का है
दिल गिरफ़्तार आशिक़ी का है
हुस्न और माइल-ए-करम तौबा
ये मुक़द्दर किसी किसी का है
कोई लूटा गया सर-ए-मंज़िल
तज़्किरा हर जगह उसी का है
वो नज़र भर के देखता ही नहीं
अक्स दिल में मगर उसी का है
मौत से तो मफ़र नहीं हरगिज़
अस्ल मातम तो ज़िंदगी का है
नींद आँखों से शौक़ से जाए
रंज फ़ुर्क़त में बेकली का है
वो 'नज़र' को बचा के जाते हैं
वाक़िआ' ये अभी अभी का है
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