Nazam Poetry (page 30)
मजबूरी
शारिक़ कैफ़ी
कुत्ते की मौत
शारिक़ कैफ़ी
कुतिया
शारिक़ कैफ़ी
किसी ताँगे में फिर सामान रक्खा जा रहा है
शारिक़ कैफ़ी
ख़ाक को मैं ख़्वार क्यूँ करता
शारिक़ कैफ़ी
जीत गया जीत गया
शारिक़ कैफ़ी
जन्नत से दूर
शारिक़ कैफ़ी
जनाज़े में तो आओगे न मेरे
शारिक़ कैफ़ी
इबादत के वक़्त में हिस्सा
शारिक़ कैफ़ी
फ़क़त हिस्से की ख़ातिर
शारिक़ कैफ़ी
एक कैंसर के मरीज़ की बड़-बड़
शारिक़ कैफ़ी
दूसरे हाथ का दुख
शारिक़ कैफ़ी
सर्कस में नौकरी का आख़िरी दिन
शारिक़ कैफ़ी
छुट्टी का दिन
शारिक़ कैफ़ी
बीच भँवर से लौट आऊँगा
शारिक़ कैफ़ी
बहरूपिया
शारिक़ कैफ़ी
बात फाँसी के दिन की नहीं
शारिक़ कैफ़ी
अपने तमाशे का टिकट
शारिक़ कैफ़ी
अजब मुश्किल है मेरी
शारिक़ कैफ़ी
अचानक भीड़ का ख़ामोश हो जाना
शारिक़ कैफ़ी
पस्पाई
शरीफ़ कुंजाही
तीन शामों की एक शाम
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
शोर थमने के बाद
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
शीशा-ए-साअत का ग़ुबार
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
सब्ज़ सूरज की किरन
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
रात शहर और उस के बच्चे
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
मन अरफ़ा नफ़्सहू
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
माह-ए-मुनीर
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
दर-पा-ए-अजल
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी
बयान सफ़ाई
शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी