Nazam Poetry (page 29)
दर-गुज़र
शाज़ तमकनत
छटा आदमी
शाज़ तमकनत
बे-नंग-ओ-नाम
शाज़ तमकनत
अजनबी
शाज़ तमकनत
आब ओ गिल
शाज़ तमकनत
उर्दू ज़बान
शायर अली शायर
फैमली-प्लैनिंग
शौकत थानवी
आटा
शौकत थानवी
याद
शौकत परदेसी
उस के नाम
शौकत परदेसी
औरत
शौकत परदेसी
समझा जा सकता है आसानी से
शौकत आबिदी
मौत का फ़रिश्ता
शौकत आबिदी
मश्वरों से भरी अलमारी
शौकत आबिदी
क्यूँकि हम ख़ास लोग हैं
शौकत आबिदी
एक मुजर्रब नुस्ख़ा
शौकत आबिदी
तराना-ए-उर्दू
शातिर हकीमी
ये हवेली गिर रही है
शरवण कुमार वर्मा
यक़ीन के ख़िलाफ़
शारिक़ कैफ़ी
यही रस्सी मिली थी
शारिक़ कैफ़ी
वो सारे लफ़्ज़ झूटे थे
शारिक़ कैफ़ी
वो बकरा फिर अकेला पड़ गया है
शारिक़ कैफ़ी
तो क्या मरना भी अब मुमकिन नहीं है
शारिक़ कैफ़ी
रोता हुआ बकरा
शारिक़ कैफ़ी
नज़र भर देख लूँ बस
शारिक़ कैफ़ी
मुजरिम होने की मजबूरी
शारिक़ कैफ़ी
मुझे हँसना पड़ा आख़िर
शारिक़ कैफ़ी
मोहब्बत की इंतिहा पर
शारिक़ कैफ़ी
मश्क़
शारिक़ कैफ़ी
मरने वाले से जलन
शारिक़ कैफ़ी