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आँचल जो ढलकता है उन का कभी शानों से - नाज़ लाइलपूरी कविता - Darsaal

आँचल जो ढलकता है उन का कभी शानों से

आँचल जो ढलकता है उन का कभी शानों से

पायल की सदा आ कर टकराती है कानों से

अपनी ही हलाकत का बाइ'स हुए जाते हैं

जो तीर निकलते हैं आज अपनी कमानों से

हम ने रह-ए-उल्फ़त में आ कर यही सीखा है

मंज़िल का पता लेना क़दमों के निशानों से

इक बार भी जो सुनना हम को न गवारा था

सौ बार सुना हम ने दुनिया की ज़बानों से

जिस ने कभी दुनिया की पर्वा ही नहीं की थी

वो 'नाज़' से मिलता है अब लाख बहानों से

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In Hindi By Famous Poet Naz Layalpuri. is written by Naz Layalpuri. Complete Poem in Hindi by Naz Layalpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.