पूरे चाँद की रात का जादू
चाँद की रात का जादू
शाम ढले इक आहट दिल में होती है!
धीरे धीरे शाम का साया और भी गहरा होता है
शाम से रात का मिलना
वस्ल की ख़्वाहिश और बढ़ा देता है
पूरे चाँद की रात का जादू जोबन पर आ जाता है
झील का रौशन पानी चाँद का अक्स उछाले फिरता है
एक नशा सा दिल में जैसे क़तरा क़तरा गिरता है
हुस्न कँवल के फूल सा खिलने लगता है
इक मानूस सी ख़ुशबू तन को छूती है
ऐसे में फिर मस्त हवा के झोंके
छेड़ने लगते हैं
और मैं प्यार के पागल-पन में
सावन-रुत की बदली बन कर
दूर फ़लक पर
उस का हाथ पकड़ कर
उड़ने लगती हूँ!!
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