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छुपाएँ किस तरह आँखें चमक मोहब्बत की - नाज़ बट कविता - Darsaal

छुपाएँ किस तरह आँखें चमक मोहब्बत की

छुपाएँ किस तरह आँखें चमक मोहब्बत की

इन आइनों में है हर दम झलक मोहब्बत की

धड़क रही है कोई याद सुर्ख़ फूलों में

झपक रही है दिलों में पलक मोहब्बत की

अजीब रंग किसी की नज़र से छिटके हैं

बदन में फैल रही है धनक मोहब्बत की

हर एक शाख़ पे खिलने लगे बहार में फूल

हर एक दिल में उठी है कसक मोहब्बत की

दिखाई देता है इक अक्स चाँद तारों में

सजाता रहता है राहें फ़लक मोहब्बत की

हसीन होते हैं दिन ख़्वाब से लपेटे हुए

गुलाब करती हैं रातें महक मोहब्बत की

कई दिनों से मुझे 'नाज़' ऐसा लगता है

क़रार ले गई जैसे लपक मोहब्बत की

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In Hindi By Famous Poet Naz Butt. is written by Naz Butt. Complete Poem in Hindi by Naz Butt. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.