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हैराँ है आँख चश्म-ए-इनायत को क्या हुआ - नय्यर वास्ती कविता - Darsaal

हैराँ है आँख चश्म-ए-इनायत को क्या हुआ

हैराँ है आँख चश्म-ए-इनायत को क्या हुआ

दुनिया में रस्म-ओ-राह-ए-मोहब्बत को क्या हुआ

माना कि शहर-ए-हुस्न में जिंस-ए-वफ़ा नहीं

लेकिन जहाँ में इश्क़ की दौलत को क्या हुआ

आती है याद रोज़ ख़ुद आती नहीं मगर

यारब हमारी शाम-ए-मसर्रत को क्या हुआ

वक़्त-ए-विदाअ ज़र्द हुआ रंग-ए-रुख़ अगर

रंग-ओ-बहार-ए-आरिज़-ए-फ़ितरत को क्या हुआ

थी हम को अक़्ल से तो न पहले ही कुछ उमीद

'नय्यर' जुनूँ के फ़ैज़-ओ-करामत को क्या हुआ

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In Hindi By Famous Poet Nayyar Wasti. is written by Nayyar Wasti. Complete Poem in Hindi by Nayyar Wasti. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.