Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_13795e7e2c7a43b5e6910924d35747db, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिल ही तो है निगाह-ए-करम से पिघल गया - नय्यर सुल्तानपुरी कविता - Darsaal

दिल ही तो है निगाह-ए-करम से पिघल गया

दिल ही तो है निगाह-ए-करम से पिघल गया

शिकवा लबों पे आ के तबस्सुम में ढल गया

पहुँचा न था यक़ीन की मंज़िल पे मैं अभी

मेरा ख़याल मुझ से भी आगे निकल गया

ख़ल्वत बनी हुई थी तिरी अंजुमन मगर

मैं आ गया तो बज़्म का नक़्शा बदल गया

वाँ मुतमइन करम कि दिया है ब-क़द्र-ए-ज़र्फ़

याँ इज़्तिराब-ए-शौक़ में साग़र बदल गया

है चश्म-ए-इल्तिफ़ात को फ़िक्र-ए-शिकस्त-ए-दिल

शायद हरीफ़ कोई नई चाल चल गया

पिन्हाँ था लग़्ज़िशों में भी एहसास-ए-आगही

मैं क्या सँभल गया कि ज़माना सँभल गया

ख़ीरा है बज़्म-ए-यार में 'नय्यर' निगाह-ए-शौक़

शमएँ जलीं कि दामन-ए-नज़्ज़ारा जल गया

(476) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nayyar Sultanpuri. is written by Nayyar Sultanpuri. Complete Poem in Hindi by Nayyar Sultanpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.