पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहीं
ना-पुर्सी का ये दौर अनोखा भला फिरा
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साने' मिरा वो है कि हो कैसी ही चोब-ए-ख़ुश्क
नासेह न बक ज़्यादा मिरा मान ये सुख़न
इस माजरा को जा के कहूँ किस के रू-ब-रू
नागिन है ज़ुल्फ़-ए-यार न ज़िन्हार देखना
जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है
किया अज़ल से है साने' ने बुत-परस्त मुझे
ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्या
और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीर
ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाए
वो यार हम से ख़फ़ा है तो हो हुआ सो हुआ
जफ़ा का उस की गिला मत करो हुआ सो हुआ