यार का वस्ल-ए-शबा-शब न हुआ था सो हुआ
यार का वस्ल-ए-शबा-शब न हुआ था सो हुआ
साग़र इशक़-ए-लबा-लब न हुआ था सो हुआ
ले चुका दिल को वो मुझ हाथ से तब मैं ने कहा
इस क़दर तेरा मतालिब न हुआ था सो हुआ
जौर और ज़ुल्म से दुनिया में ये ख़ूबाँ का इस्म
बेवफ़ाई का मुलक़्क़ब न हुआ था सो हुआ
करना तस्ख़ीर हर इक दिल को दो इक बातों में
इस तरह का भी अजाइब न हुआ था सो हुआ
रोज़ लगता है तिरे कान से जा जा के रक़ीब
कसू का इतना मरातिब न हुआ था सो हुआ
ग़ैरों की बर में तिरे अब तो ये कुछ कसरत है
या'नी हर कोई मुसाहिब न हुआ था सो हुआ
मेहर उस्ताद की से देखो तो इस 'नैन' के तईं
शे'र कहने का कभी ढब न हुआ था सो हुआ
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