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जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है - नैन सुख कविता - Darsaal

जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है

जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है

बहुत जी को प्यारा है और मन-हरन है

ये सब ख़ूबियाँ तुझ में हैंगी परी-रू

तू ही मन-हरन है तू ही चित लगन है

दीवाना हूँ उस दम कि जिस दम कहें हैं

शकर-लब भी क्या ख़ूब शीरीं बचन है

ज़रा प्यार से जिस से तू हँस के बोले

तो बे-शक उसे बादशाही ख़ुतन है

तजल्ला तिरा जिन ने टुक देख पाया

वली है वो फिर और फ़लातूँ-ज़मन है

तिरे आवने की ख़बर सुन के प्यारे

खड़ा मुंतज़िर सारा नर्गिस-चमन है

भला तुझ को दुनिया में कोई क्यूँ कि पावे

न घर कहीं तेरा कहीं न वतन है

है सब में मिला और सब से निराला

अजब तेरी क़ुदरत अजब तेरा फ़न है

तू अब ख़्वाह नज़दीक या दूर ही रह

तिरी याद जी में मिरे रात-दिन है

ग़नीमत है मुझ को बुज़ुर्गी ये इतनी

मैं तालिब हूँ तेरा और तू जान-ए-मन है

करम की नज़र से ज़रा देख ईधर

तिरा 'नैन' आजिज़ है रंगीं-सुख़न है

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In Hindi By Famous Poet Nayan Sukh. is written by Nayan Sukh. Complete Poem in Hindi by Nayan Sukh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.