नैन सुख कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नैन सुख
नाम | नैन सुख |
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अंग्रेज़ी नाम | Nayan Sukh |
ये सारा क़ज़िया तो हम से है इस से तुम को क्या
वो जो इक तोला कई माशा थी यारी तुम से
साने' मिरा वो है कि हो कैसी ही चोब-ए-ख़ुश्क
पूछे कोई किसी को सो इम्कान ही नहीं
लोगों के फोड़ता फिरे शीशे
किया अज़ल से है साने' ने बुत-परस्त मुझे
जितना कि है इफ़रात तिरी कम-निगही का
जावे भी फिर आवे भी कई शक्ल से हर बार
इस माजरा को जा के कहूँ किस के रू-ब-रू
ईधर से सेते जाओ और ऊधर से फटता जाए
देखा है कहीं गुल ने तुझे जिस की ख़ुशी से
चटपटी दिल की बुझी यार के देखे से यूँ
और सब 'मानी' ने तेरी तो बनाई तस्वीर
आईने से मुझ दल के तहय्युर को मिला देख
आगे को बढ़ सके है न पीछे को हट सके
ज़रा कीजिए ग़ौर हज़रत-सलामत
यार का वस्ल-ए-शबा-शब न हुआ था सो हुआ
वो यार हम से ख़फ़ा है तो हो हुआ सो हुआ
वाजिबी बात कहीं ज़रा कहिए
तुझ तेग़ की निगह से मिरा कट गया है दिल
नसीहत से मेरी ये सौ कोस भागे
नासेह न बक ज़्यादा मिरा मान ये सुख़न
नागिन है ज़ुल्फ़-ए-यार न ज़िन्हार देखना
जो बात मनअ' की है उसे कहिए क्यूँ
जहाँ में जो कई गुल-बदन ख़ुश-नयन है
जफ़ा का उस की गिला मत करो हुआ सो हुआ
फ़स्ल-ए-गुल में हर घड़ी ये अब्र-ओ-बाराँ फिर कहाँ
दिलदार हुआ ना-ख़ुश अब दिल का ख़ुदा-हाफ़िज़
दीजे नहीं कसू को तो फिर लीजिए भी नहिं
बहुतों ने जिसे अर्श पे बे-जान में देखा