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तेग़ अपनी जगह दार अपनी जगह - नवाज़ देवबंदी कविता - Darsaal

तेग़ अपनी जगह दार अपनी जगह

तेग़ अपनी जगह दार अपनी जगह

और हक़ीक़त का इज़हार अपनी जगह

अब खंडर है खंडर ही कहो दोस्तो

शीश-महलों के आसार अपनी जगह

तूर पर लाख मूसा से हो गुफ़्तुगू

अर्श-ए-आज़म पे दीदार अपनी जगह

अव्वलन हक़ ने तख़्लीक़ जिस को किया

सब के बा'द उस का इज़हार अपनी जगह

मुख़्तसर ये बता सर-ब-कफ़ कौन था

जीत अपनी जगह हार अपनी जगह

भाई से भाई के कुछ तक़ाज़े भी हैं

सहन के बीच की दीवार अपनी जगह

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In Hindi By Famous Poet Nawaz Deobandi. is written by Nawaz Deobandi. Complete Poem in Hindi by Nawaz Deobandi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.