तिरे मस्लक में क्या इतना भी समझाया नहीं जाता
तिरे मस्लक में क्या इतना भी समझाया नहीं जाता
फ़क़ीरों और दरवेशों से टकराया नहीं जाता
नए जुमले तलाशो वाक़ई गर तुम मुक़र्रर हो
हर इक तक़रीर में जुमलों को दोहराया नहीं जाता
तिरी फ़ुर्क़त में सारे जिस्म को पथरा दिया मैं ने
फ़क़त आँखें बची हैं इन को पथराया नहीं जाता
तू अपने ओहदा-ए-मुंसिफ़ से मुंसिफ़ इस्तिफ़ा दे दे
अगर हक़दार का हक़ तुझ से दिलवाया नहीं जाता
अनल-हक़ कहने वाले आज भी मौजूद हैं लेकिन
उन्हें इस दौर में फाँसी पे लटकाया नहीं जाता
हवा हो तेज़ तो दीवार-ओ-दर थर्राने लगते हैं
मगर इस ख़ौफ़ से घर छोड़ के जाया नहीं जाता
बहुत से पेड़ आदम-ख़ोर-ख़सलत वाले होते हैं
'नवाज़' हर पेड़ के साये में सुस्ताया नहीं जाता
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