Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f89c0847e3f6dc475e2a785081e8cee9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तमाम अब्र पहाड़ों पे सर पटकते रहे - नवाज़ असीमी कविता - Darsaal

तमाम अब्र पहाड़ों पे सर पटकते रहे

तमाम अब्र पहाड़ों पे सर पटकते रहे

ग़रीब दहकाँ के आँसू मगर टपकते रहे

तमाम मौसम-ए-बारिश इसी तरह गुज़रा

छतें टपकती रहीं और मकीं सिसकते रहे

निहारने के लिए जब न मिल सका मंज़र

हम अपनी सोख़्ता-सामानियों को तकते रहे

मकान अश्कों के सैलाब में ठहर न सके

मकीन पलकों की शाख़ें पकड़ लटकते रहे

वो हम पे बर्फ़ का तूफ़ान बन के टूट पड़ा

हम अपने आप में शो'ला बने भभकते रहे

अमीर लोगों की बस्ती में कोई दर न खुला

ग़रीब लोग हर इक दर पे सर पटकते रहे

'नवाज़' लुक़्मे पे लुक़्मा दिया है हम ने मगर

मोहब्बतों की तिलावत में वो अटकते रहे

(360) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Nawaz Asimi. is written by Nawaz Asimi. Complete Poem in Hindi by Nawaz Asimi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.