पी के गिरने का है ख़याल हमें
पी के गिरने का है ख़याल हमें
साक़िया लीजियो सँभाल हमें
शब न आए जो अपने वा'दे पर
गुज़रे क्या क्या न एहतिमाल हमें
तेरे ग़ुस्से ने एक-दम में किया
मुर्दा-ए-सद-हज़ार साल हमें
दिल में मुज़्मर है मा'नी-ए-बाक़ी
किसी सूरत नहीं ज़वाल हमें
ताले-ए-बद से नय्यर-ए-'रख़्शाँ'
अपने ही घर में है विसाल हमें
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