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औरों की तरह से अब न टालो - नवाब सुलेमान शिकोह कविता - Darsaal

औरों की तरह से अब न टालो

औरों की तरह से अब न टालो

हम को अपने गले लगा लो

गाली न दिया करो किसी को

बस बस अपनी ज़बाँ सँभालो

ग़ुर्फ़े में से झाँक पास अपने

ग़ैरों को हँसी-ख़ुशी बुला लो

और हम से हज़ार हैफ़ प्यारे

मुँह को शर्मा के यूँ छुपा लो

है क़ाफ़िला उम्र का रवाना

रख़्त अपना मुसाफ़िरो सँभालो

बुत-ख़ाने की राह को 'सुलैमान'

छोड़ो तुम और रह-ए-ख़ुदा लो

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In Hindi By Famous Poet Nawab Sulaiman Shikoh. is written by Nawab Sulaiman Shikoh. Complete Poem in Hindi by Nawab Sulaiman Shikoh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.