नज़र से छुप गए दिल से जुदा तो होना था
नज़र से छुप गए दिल से जुदा तो होना था
इस एहतिमाम से तुम को ख़फ़ा तो होना था
वफ़ा ख़ुद अपने मुक़ाबिल हुई मोहब्बत में
तिरे सितम की कोई इंतिहा तो होना था
कहाँ पहुँच के रुके आप बेवफ़ाई से
लिहाज़ मेरी वफ़ा का ज़रा तो होना था
सँवर के आइना देखा तो हँस के फ़रमाया
वो सामने हैं मगर सामना तो होना था
अगर इधर से वो गुज़रे हैं बे-ख़याली में
क़रीब-ए-दिल कोई आवाज़-ए-पा तो होना था
वो ले गए हैं अगर बू-ए-गुल को साथ 'शजीअ'
कम-अज़-कम आज चमन में सबा तो होना था
(1575) Peoples Rate This