हर वो हंगामा ना-गहाँ गुज़रा
हर वो हंगामा ना-गहाँ गुज़रा
दो दिलों के जो दरमियाँ गुज़रा
तुम किसी के नहीं ज़माने में
हम को ऐसा भी इक गुमाँ गुज़रा
जो मोहब्बत में हम पे गुज़रा है
तुम पे वो वक़्त अभी कहाँ गुज़रा
नक़्श-ए-पा रास्ता दिखाते हैं
किस की मंज़िल से कारवाँ गुज़रा
दिल की बे-ताबियों पे वो चुप थे
मेरा हँसना उन्हें गराँ गुज़रा
क्या हुआ गुलिस्ताँ में क्या मा'लूम
इस तरफ़ से भी कुछ धुआँ गुज़रा
ज़ख़्म-ए-दिल मुस्कुरा रहे हैं 'शजीअ'
शायद अब मौसम-ए-ख़िज़ाँ गुज़रा
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