Ghazals of Nawab Moazzam Jah Shaji
नाम | |
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अंग्रेज़ी नाम | Nawab Moazzam Jah Shaji |
सर्द आहों ने मिरे ज़ख़्मों को आबाद किया
नज़र से छुप गए दिल से जुदा तो होना था
किस के नग़्मे गूँजते हैं ज़िंदगी के साज़ में
जज़्बा-ए-दर्द-ए-मुहब्बत ने अगर साथ दिया
जाम ख़ाली हैं मय-ए-नाब कहाँ से लाऊँ
इज़हार-ए-हाल सुन के हमारा कभी कभी
हर वो हंगामा ना-गहाँ गुज़रा
घटाएँ छाई हैं साग़र उठा ले जिस का जी चाहे