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दौलत शोहरत क़त्ल तबाही क्या क्या हैं पहचान न पूछ - नवाब अहसन कविता - Darsaal

दौलत शोहरत क़त्ल तबाही क्या क्या हैं पहचान न पूछ

दौलत शोहरत क़त्ल तबाही क्या क्या हैं पहचान न पूछ

आज वफ़ा के अफ़्सानों के कितने हैं उनवान न पूछ

झूट दग़ा, नफ़रत और रिश्वत ज़ेहनों के नीलाम हुए हैं

और तराज़ू में सोने के तुलते हैं ईमान न पूछ

जलती चिताएँ ख़ूनी मंज़र, चीख़ें, कर्ब और सन्नाटे

किस को हम इल्ज़ाम लगाएँ बस्ती है वीरान न पूछ

दर्द के बादल छाए हुए हैं जाने कब ये बरस पड़ें

भीगी भीगी सी आँखें हैं ठहरा है तूफ़ान न पूछ

तपता सूरज, रेत का दरिया, सुर्ख़ उजाले, काली रात

जाने कैसे इस धरती पर रहते हैं इंसान न पूछ

झुलसे चेहरे, ज़ख़्मी रूहें, ख़ून के धब्बे, ग़म के दाग़

आईने में देख के सूरत दुनिया है हैरान न पूछ

प्यासे लब और जलते ख़ेमे, तीर-ओ-ख़ंजर सीने में

नस्ल-ए-नौ पे उन के 'अहसन' कितने हैं एहसान न पूछ

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In Hindi By Famous Poet Nawab Ahsan. is written by Nawab Ahsan. Complete Poem in Hindi by Nawab Ahsan. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.