ख़ुद से उस ने नजात पा ली है
ख़ुद से उस ने नजात पा ली है
राह 'नवनीत' ने निकाली है
ख़ुश्क आँखों के आस-पास कहीं
दिल ने इक झील सी बना ली है
लहलहाते हैं दर्द के पौदे
इश्क़ का बाग़, याद माली है
रौंद जाता है ये किनारों को
इसे दरिया कहें? मवाली है
एक तस्वीर को हटाया बस
दिल की दीवार ख़ाली ख़ाली है
आप का नाम भी नहीं लेते
प्यास होंटों पे अब सजा ली है
ऐ थकन कुछ तो बोल, क्या तू ने
मंज़िलों में जगह बना ली है
मैं हुआ कामयाब मर कर भी
आँख क़ातिल ने वो झुका ली है
क्या भरोसा मिलें वो या न मिलें
हम ने इक आरज़ू कमा ली है
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