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नवनीत शर्मा Ghazal In Hindi - Best नवनीत शर्मा Ghazal Shayari & Poems - Darsaal

Ghazals of Navneet Sharma

Ghazals of Navneet Sharma
नामनवनीत शर्मा
अंग्रेज़ी नामNavneet Sharma

यूँ ही गलियों में मुक़द्दर दर-ब-दर मेरा भी है

ये जो मुझ में अज़ाब है प्यारे

सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी

रास्ते से गए हटाए हम

कोई मुझ से ख़फ़ा है इस लिए ख़ुद से ख़फ़ा हूँ

ख़ुद से उस ने नजात पा ली है

जो ये कहते थे कि मर जाना है

हुए हैं फिर से अँधेरों के हौसले रौशन

दर्द इस दर्जा मिले ज़ब्त में कामिल हुआ मैं

बिना रोए गुज़रना उस गली से

अब पसर आए हैं रिश्तों पे कुहासे कितने

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