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उस में रह कर उस के बाहर झाँकना अच्छा नहीं - नवीन सी. चतुर्वेदी कविता - Darsaal

उस में रह कर उस के बाहर झाँकना अच्छा नहीं

उस में रह कर उस के बाहर झाँकना अच्छा नहीं

दिल-नशीं के दिल को कमतर आँकना अच्छा नहीं

जिस की आँखों में हमेशा बस हमारे ख़्वाब हों

उस की पलकों पर उदासी टाँकना अच्छा नहीं

उस की ख़ामोशी को भी सुनना समझना चाहिए

हर घड़ी बस अपनी अपनी हाँकना अच्छा नहीं

एक दिन दिल ने कहा जा ढाँक ले अपने गुनाह

हम ने सोचा आइनों को ढाँकना अच्छा नहीं

प्यार तो अमृत है उस के रस का रस लीजे 'नवीन'

बेद की बूटी समझ कर फाँकना अच्छा नहीं

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In Hindi By Famous Poet Navin C. Chaturvedi. is written by Navin C. Chaturvedi. Complete Poem in Hindi by Navin C. Chaturvedi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.