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हैरत-अंगेज़ हुआ चाहती है - नवीन सी. चतुर्वेदी कविता - Darsaal

हैरत-अंगेज़ हुआ चाहती है

हैरत-अंगेज़ हुआ चाहती है

आह ज़रख़ेज़ हुआ चाहती है

अपनी थोड़ी सी धनक दे भी दे

रात रंग-रेज़ हुआ चाहती है

आबजू देख तिरे होते हुए

आग आमेज़ हुआ चाहती है

बस पियाला ही तलबगार नहीं

मय भी लबरेज़ हुआ चाहती है

रौशनी तुझ से भला क्या परहेज़

तू ही परहेज़ हुआ चाहती है

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In Hindi By Famous Poet Navin C. Chaturvedi. is written by Navin C. Chaturvedi. Complete Poem in Hindi by Navin C. Chaturvedi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.